चाबी वाली मेरी गुिड़या
यह तो है आफत की पुिड़या
ठुमक ठुमक कर चलती है
खूब इशारे करती है,
चाबी थोड़ी और लगे तो
घूम घूम कर हंसती है |
यह तो है आफत की पुिड़या
ठुमक ठुमक कर चलती है
खूब इशारे करती है,
चाबी थोड़ी और लगे तो
घूम घूम कर हंसती है |
| Posted by kullu |
Labels: Hindi Rhymes
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